What is ROM in Hindi? Characteristics and Types of ROM

 

What is ROM?



ROM
ROM



कंप्यूटर में दो तरह की मेमोरी होती है – पहली Primary memory और दूसरी Secondary memory.  Rom एक primary memory होती है और इसका पूरा नाम Read Only Memory होता है।

ROM (Read Only Memory) के नाम से ही पता चल जाता है की इसमें जो भी data होगा उसको हम केवल read कर सकेंगे, लेकिन डाटा को अपडेट या डिलीट नहीं कर सकेंगे। हालांकि इसमें भी एक तरह की रोम मेमोरी होती है जिसको रेवरिटे या डिलीट भी कर सकेंगे।

रोम में स्थित डाटा को ना ही बदला जा सकता है और ना ही अपडेट किया जा सकता है लेकिन बदलने की जरूरत हो तो इसमें बहुत परेशानी होती है।  रोम में किसी भी तरह का डाटा या प्रोग्राम यूजर के द्वारा नहीं लिखा जाता है।  इसमें जो भी डाटा या प्रोग्राम लिखा जाता है वो मैन्युफैक्चरिंग के द्वारा ही लिखा जाता है। रोम में कभी भी डाटा को बदला नहीं जा सकता है।  लेकिन बदला पड़े तो एक विशेष प्रकार के सॉफ्टवेयर की जरुरत पड़ेगी।

ROM का इस्तेमाल हम Firmware को store करने के लिए करते है। जब हमारा कंप्यूटर सबसे पहले start य switch on होता है, तब कंप्यूटर में सबसे पहले BIOS (Basic Input Output System) नाम का software होता है जो की ROM में store रहता है इसे हम firmware भी कहते है।

What is Firmware?

Firmware वो software होते है जो की किसी hardware को control करते है जैसे की हमारे कंप्यूटर का BIOS (Basic Input Output System) जो की कंप्यूटर के ROM में store रहता है।

Is ROM a Volatile or Non-Volatile Memory?

रोम एक Non – Volatile Memory होती है. Non – volatile memory उन्हें कहते है जिन memory में data बिना power supply के भी store रहता है।

जैसे की हमारे कंप्यूटर का BIOS (Basic Input Output System) Firmware एक Non – Volatile मेमोरी होती है। अगर हम कंप्यूटर को shut down करदे तो भी BIOS या ROM में सारा data store रहता है और इन्ही मेमोरी को Non – Volatile memory कहते है।

What are the Uses of ROM?

रोम का इस्तेमाल हम कंप्यूटर या मोबाइल के अलावा और भी कई जगह करते है। रोम को electronic devices में firmware बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। for example, microwave oven, Air conditioning, washing machine, television, TV Remote, CCTV Camera और भी कई electronic devices में इस्तेमाल किया जाता है। ROM के इस्तेमाल से हम उस को instructions दे सकते है और control कर सकते है, जैसे की एक washing machine में rom है. उस रोम में firmware installed है, तो उस रोम में जो भी instructions होगी वैसे ही washing machine काम करेगी। या फिर एक TV remote हमारे एक button दबाने पर टीवी को control कर सकता है।

ROM की विशेषताएं – Characteristics of Computer ROM

  1. रोम एक Non – Volatile Memory होती है।
  2. रोम में केवल हम data को read कर सकते है। इसलिए इसे हम Read Only Memory भी कहते है।
  3. यह memory RAM के मुलाकबले slow होती है।
  4. ROM memory RAM के मुकाबले सस्ती होती है।
  5. R.O.M. में Basic Functionality के instructions को store किया जाता हैं ।
  6. रोम काफी काम power supply लेता है।
  7. राम के मुकाबले रोम ज्यादा reliable memory होती है।

 

ROM के प्रकार – Types of ROM

ROM 4 तरह के होते हैं जो कि कुछ इस प्रकार हैं –

  1. MROM (Mask Read-Only Memory)
  2. PROM (PROGRAMMABLE READ ONLY MEMORY)
  3. EPROM (ERASABLE AND PROGRAMMABLE READ ONLY MEMORY)
  4. EEPROM (ELECTRICALLY ERASABLE AND PROGRAMMABLE READ ONLY MEMORY)

 

1.MROM (Mask Read-Only Memory)

MROM एक मेमोरी है जिसमे से data को दोबारा से write नहीं किया जा सकता। MROM की Full Form  Mask Read Only Memory होती हैं। इस memory को  Manufactures के द्वारा ही devices में Programmed कर दिया जाता हैं।  इस तरह की रोम मेमोरी आज के समय में इस्तेमाल नहीं की जाती है।

 

2. PROM (PROGRAMMABLE READ ONLY MEMORY)

PROM की full form Programmable Read Only Memory होती हैं। इस तरह की Memory में data एक बार Write किया जा सकता हैं। 

इस PROM में Data को Write करने के लिए कुछ विशेष तरह के tools का इस्तेमाल किया जाता हैं। जो लोग इस PROM को program करते है, उन्हें PROM Programmer या फिर PROM Burner भी कहा जाता हैं और PROM में Data Write करने की प्रक्रिया को PROM Burning कहा जाता है.

User एक खाली PROM खरीद कर ला सकता है और उसे उसमे instructions को write कर सकता है। PROM में Fuses होते है, जिनकी मदद से एक user अपने commands या instructions को write करके store कर सकता है। एक बार write होने के बाद इसमें दोबारा से re-write या delete नहीं हो सकता है।

 

3. EPROM (ERASABLE AND PROGRAMMABLE READ ONLY MEMORY)

EPROM की full form Erasable Programmable Read Only Memory होती हैं। इसके नाम से ही पता चल जाता हैं, कि इस ROM में stored data को Erase या delete भी किया जा सकता है और फिर से इसे programmed भी किया जा सकता है। data को erase के लिए Ultra – Violet Light का इस्तेमाल किया जाता है।

Ultra – Violet Light लगभग 40 minute तक इस Rom से pass कराया जाता है, जिससे सारा stored data delete हो जाए और फिर से इसमें हम instructions को store करा पाए।

 

4. EEPROM (ELECTRICALLY ERASABLE AND PROGRAMMABLE READ ONLY MEMORY)

EEPROM की full form Electrically Erasable Programmable Read Only Memory होती हैं। इस तरह के ROM से data को erase करने के लिए Electrical Charge का इस्तेमाल किया जाता हैं। इस तरह के ROM बाकी ROMs से थोडी धीमी होती है। EEPROM का एक यह फायदा होता है कि इसे हम 10 हज़ार बार erase कर सकते है और फिर से program भी कर सकते है।  इस तरह के ROM को program करने और erase करने में लगभग 10 मिली सेकंड तक का समय लग सकता है।

 

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