What is Secondary Memory in Hindi? Types? Advantages and Disadvantages?

 

What is the Secondary Memory?


Secondary Memory
Secondary Memory

Secondary Memory वो मेमोरी होती है , जिसमे हम अपने data को Permanently store करके रख सकते है। यह मेमोरी primary Memory से बहुत अलग होती है। यह मेमोरी Primary memory के मुकाबले slow होती है, लेकिन सस्ती (cheaper than primary memory) भी होती है। Secondary Memory को Auxiliary Memory भी कहते है।

Secondary Memory एक Non-Volatile memory होती है। इसका मतलब होता है, की अगर हम अपने कंप्यूटर को Shut Down करदे या फिर इन मेमोरी को power supply न मिले तो इसमें से data delete नहीं होता है।

सेकेंडरी मेमोरी के उदाहरण – Floppy Disk, Hard Disk, CD, DVD, Pendrive आदि है।

Secondary Memory की विशेषताएं – features of Secondary Memory

  1. इन्हे Non-Volatile memory होती है।
  2. इन मेमोरी को Backup के लिए भी इस्तेमाल करते है इसलिए इन्हे हम  Backup Memory के नाम से भी जानते है।
  3. इस तरह की memory को अगर power supply न मिले, तब भी हम इसमें data को permanently store कर सकते है।
  4. इस तरह की मेमोरी magnetic या optical memories होती है।
  5. यह memory काफी सस्ती होती है।
  6. यह मेमोरी slow होती है।


सेकेंडरी मेमोरी के फायदे – Advantages of Secondary Memory


1. Capacity

इसका पहला फायदा यह है, की इसमें हम बहुत सारे data को store कर सकते है। सेकेंडरी मेमोरी की storage capacity बहुत ज्यादा होती है। जैसे की hard disk जिसकी storage capacity 500GB, 1TB या 2TB तक हो सकती है।


2. Cost

इन मेमोरी की कीमत ज्यादा नहीं होती है। आपको काम कीमत में काफी ज्यादा storage capacity मिल जाती है।


3. Reliability

इस मेमोरी का फायदा यह है की यह memory बहुत reliable होतीं है। मतलब की इन तरह की मेमोरी पर हम लोग भरोसा कर सकते है की यह हमारे data को सुरक्षित रखेगी और data के खराब (corrupt) होने के chances कम होते है।


4. Backup

यह मेमोरी हमारे data का backup रखने के लिए काम में आता है। इनमे हम बहुत सारे डाटा को store करके रख सकते है और जब चाहे तब copy भी कर सकते है।


सेकेंडरी मेमोरी के नुक्सान – Disadvantages of Secondary Memory


1. Slow

सबसे पहला नुसकान है की यह मेमोरी slow  होती है।


2. fragmentation 

यह नुक्सान hard disk से जुड़ा हुआ है। fragment का मतलब होता है ‘टुकड़ा’. जब हम हार्ड डिस्क में बहुत सारी files store करते रहते है तब वो data physically बहुत से टूड़को में या फिर वो data बिकरा रहता है। जिसकी वजह से हमारे हार्ड डिस्क को डाटा को read करने में ज्यादा समय लगता है और हमारा कंप्यूटर slow  हो जाता है।


Secondary Memory कितने तरह के होते है – Types of Secondary Memory

  1. Magnetic Tape
  2. Magnetic Disk
  3. Optical Disk
  4. USB Flash Drive


1. Magnetic Tape

Magnetic Tape एक storage device होते है, जिसमे हम data को store कर सकते है। पुराने समय में Magnetic tape का इस्तेमाल होता था। Magnetic tape की मदद से casatte tape बनाए जाते थे। इन कैसेटटे टेप में पतली और बहुत लम्बी सी ribbon होती थी, जो magnetic ink की मदद से बनती थी। इसमें हम data को store और delete भी कर सकते थे। इसमें audio data को store किया जाता था।


2. Magnetic Disk

Magnetic disk भी एक storage device होते है, जिनको बनाने में magnetization का इस्तेमाल होता है। यह device magnetic coating से cover होते है और इनमे data को store करने के लिए tracks और sectors का इस्तेमाल होता है।

इनके अंतर्गत दो devices आते है:

  1. Floppy Disk
  2. Hard Disk


1. Floppy Disk

यह प्लास्टिक की मदद से बनी होती है। इसमें एक गोल disk होती है जिसमे magnetic परत चढ़ी होती है। यह गोल डिस्क के ऊपर बहुत लचीला प्लास्टिक  का cover होता है, जिसको jacket भी बोला जाता है। इस गोल डिस्क में कई सारे tracks और sectors बने होते है। जिनमे फिर data को store किया जा सकता है। यह बिलकुल casatte tape की तरह ही काम करती है। यह करीब 360 RPM की रफ़्तार से घूमती है। इनकी storage capacity भी बहुत काम होती है। एक floppy disk की capacity करीब 300kb से 3 mb के बीच होती है।


2. Hard Disk

यह लगभग हर किसी के computer या laptop में इस्तमाल की जाती है। दुनिया की पहली hard disk IBM ने बनाई  थी, जिसको 1980 में बनाया गया था।  हार्ड डिस्क में अंदर एक डिस्क होती है जो magnetise होती है और इसमें बहुत सारे tracks और sectors बने होते है, फिर जिसमे हम अपने डाटा को स्टोर कर सकते है। इसकी डिस्क की रफ़्तार को RPM (Revolutions Per Minute) मापा जाता है। आमतौर पर हार्ड डिस्क की रफ़्तार 5200 RPM और 7200 RPM वाली हार्ड डिस्क ही मिलती है। एक sector में 512 bytes तक का डाटा स्टोर किया जा सकता है। इसकी storage capacity काफी ज्यादा होती है, लगभग 1TB से 100TB तक होती है। इसको secondary storage भी बोलते है।


3. Optical Disk

यह Disk एक गोल डिस्‍क होती है, जो की polycarbonate से बनी होती है। Optical Disk में data laser light की मदद से store होता है। डाटा को Optical Disk से read और write करने के लिये एक laser light का इस्तमाल किया जाता है।

Optical Disk के तीन प्रकार होते है:

  1. CD
  2. DVD
  3. Blu Ray


1. CD

CD का पूरा नाम Compact Disc होता है। इसमें 700MB तक का data को store किया जा सकता है। इसमें डाटा काफी सालो तक सुरक्षित रहता है, लेकिन इसकी सतह पर scratch आने पर data को read और write करने में परेशानी हो जाती है।


2. DVD

DVD का पूरा नाम Digital Versatile Disc होता है। CD के बाद DVD आया। जिसकी storage capacity बहुत ज्यादा होती है। देखने में यह दोनों एक जैसी ही लगती है। DVD की storage capacity करीब 4.7 GB से लेकर 17 GB तक होती है, लेकिन scratch आने पर डाटा को read और write करने में मुश्किल होती है।


3. Blu Ray

Blu Ray देखने में CD और DVD की तरह ही होती है। इसको read और write करने के लिये laser light का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें laser light नीले रंग-जैसी बैंगनी light का इस्तेमाल होता है, इसलिये इसे Blu Ray बोला जाता है। इसकी storage capacity 50 GB तक हो सकती है।


4. USB Flash Drive

यह आज के समय के सबसे popular और portable device है, जो की USB port की मदद से कंप्यूटर से जोड़ी जाती है। इसको हम pen drive के नाम से भी जानते है। इसका इस्तेमाल हम videos, audios और अन्य data को store करने के लिए किया जाता है। pendrive में Printed circuit board होता है, जिसमे सारे components लगे होते है। इसकी storage capacity आमतौर पर 64GB, 128 GB, 256GB या उससे भी ज्यादा तक हो सकती है।


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