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Interpreter |
आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि इंटरप्रेटर (Interpreter) क्या होता है ? और यह कैसे काम करता है। इससे पहले हमने पढ़ा था कि Compiler क्या होता है और यह कैसे हमारे कोड को मशीन कोड में बदल देता है ताकि हमारा कंप्यूटर उस कोड को समझ पाए और execute कर पाए। तो चलिए पढ़ते है कि इंटरप्रेटर (Interpreter) क्या होता है और यह कैसे काम करता है।
What is Interpreter?
इंटरप्रेटर ( Interpreter ) भी कम्पाइलर (Compiler) की तरह ही high level language काे machine code में translate करने का काम करता है। High Level Languages जैसे कि C++, java में लिखे program (code) को source code कहा जाता है। इंटरप्रेटर ( Interpreter ) भी कम्पाइलर (compiler) की तरह ही source code को translate करता है machine code में, लेकिन compiler पूरे code को translate करता है और इंटरप्रेटर एक – एक line को translate करता है और execute करता है।
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How Interpreter Works? Explain
सबसे पहले interpreter पहली line को translate करता है और अगर पहली line में कोई error होता है तो उसे error को दिखाता है और जब तक वह line पूरी तरह से सही नहीं हो जाती है यानि कि ठीक नहीं हो जाती है तब तक इंटरप्रेटर आगे नहीं बढता है, जब पहली लाइन पूरी तरह से ठीक हो जाती है तब ही इंटरप्रेटर दूसरी लाइन को translate करेगा। तो इस तरीके से एक इंटरप्रेटर ( Interpreter ) line by line किसी भी प्रोग्राम को machine code (Binary Code) में translate करता है।
इंटरप्रेटर का काम कम्पाइलर से काफी अलग होता है। जहा कम्पाइलर पूरे source code को ट्रांसलेट करके एक नयी file बना देता है जो कि कंप्यूटर के समझने योग्य होती है वही इंटरप्रेटर line by line code को ट्रांसलेट करता है और तुरंत ही execute भी कर देता है।
इंटरप्रेटर हर बार किसी प्रोग्राम को लाइन बाई लाइन ही ट्रांसलेट करता है और इसी वजह से इंटरप्रेटर ( Interpreter) कम्पाइलर (Compiler) से ज्यादा समय लेता है। यह अपने source code को पूरी तरह से मशीनी कोड में नहीं बदलता है, इसलिये इंटरप्रेटर को हर बाद translate करते समय source code की जरूरत पड़ती है।